Thursday 23 July 2009

शून्य

मन आज भी खाली है
जाने किस ओर बढ़ चला है
दिशाहीन
गंतव्यहीन
भावहीन

मन तब भी खाली था
मगर तब एक आस थी
दिशा की खोज
राहो की खोज
भावो की खोज