मेरी अनुभूतियाँ ...
Thursday, 31 December 2015
नया साल
बेतरतीब सी जिंदगी
इकत्तीस की शाम
घर आती है
और
उम्मीदों के पुलिंदों में
फिर
सिमट जाती है
Tuesday, 17 November 2015
अधूरी कहानी
अपने हाँथो को
मेरे हाथ में
देना कभी
भूली हुई
आधी पढ़ी किताब की तरह
उन लकीरों में
हमारे अतीत को तलाश कर
ताज़ा करना है
Friday, 16 October 2015
उसने कही
उसने कही अपने मन की
हमने सुनी अपने दिल की
आज भी उसके कहे में
अपने सुने की तलाश है
Tuesday, 3 December 2013
तमसो माँ ज्योतिर्गमय
रात आती है
गुज़र जाती है
पर मन का तमस
नहीं बुझता
फैला रहता
हर पहर
जाने कब वो जाएगा
जाने कब सवेरा आएगा
Monday, 24 June 2013
बारिश में मन जलता है
बारिश में मन जलता है
है कुछ ऐसे रश्क
जो बस सुलगते है
सुलझते नहीं
इच्छाओ की बेअन्त झरी
और
अंतर की
तपिश
चौंधती बिजली छेड़ती
यादो के तार
काला आकाश
धूमिल मन
बारिश में मन जलता है
Thursday, 21 March 2013
सवाल - जवाब
जब ज़िन्दगी
अच्छे
जवाब देना बंद कर दे
तो अच्छे सवालो से ही मन बहला लेना चाहिये
Saturday, 2 March 2013
शुक्र है
शुक्र है
उन लोगो का
उन बातो का
जो ज़ख्म कुरेदते रहते है
ज़िन्दगी के एहसास को
और मुझको
जिंदा रखते है
Post Script: बीती रात जैसे ही इन पंक्तियों को उकेरा, चित्रा सिंह की गायी ग़ज़ल - "किसी रंजिश को हवा दो" (
http://www.youtube.com/watch?v=GWzAx-JNYZw
) याद आ गयी। फिर से उस ग़ज़ल को सुना और कुछ नये मायने समझे और महसूस किये ।
Monday, 8 October 2012
ज़िन्दगी के मायने बदल गए
या मायनों ने
ज़िन्दगी बदल दी ?
Sunday, 21 August 2011
शाम
स्याह शाम में
सिमट गयी
सारे शेहेर की उदासी
और मेरे मन का अँधेरा
जीवन
चार कोस
जीवन यात्रा
प्रारब्ध, प्रारंभ
विस्मय और अंत
Friday, 15 April 2011
लकीर
दरार की लकीर, सीधी क्यों नहीं होती ?
Tuesday, 21 December 2010
...
खुश-फेहेम
रहे सब
तुम
जिंदगी
और मै भी
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