ख्वाब आते है रोज़ एक दस्तक देते है
धीरे से कुछ उम्मीदो का वास्ता देते
और फिर चुप-चाप से मायूस हो कर लौट जाते है
कभी मन बेचैन हो उठता है
अपने आप से, और कभी हर उस शै से लड़ता है
जिस्से मुझे सहरा मिलता है
लगता है जैसे
मैं खुद से लड़ रहा हूँ
और शायद थक भी चुका हूँ
चलते रेहने की नसीहत देना
और हसते रेहना
इतना मुशकिल भी नही जीना
फिर क्यूँ मैं हर ख्वाब को झूठलाता हूँ
कदमो के निशान मिटाता हूँ
और अपने मे सिमट जाता हूँ
6 comments:
koshish achchee hai Manik....likhteY raheeyeY :)
श्रीश ,
बहुत बहुत धन्यवाद । आप का स्वागत पृष्ट हिन्दी नव - चिट्ठाकारो के लिए जानकारी तथा तथ्यों से भरा है ।
- आशुतोष
अल्पना जी ,
प्रोत्साहन का धन्यवाद :)
- आशुतोष
You know chaos in the world brings uneasiness, but it also allows the opportunity for creativity and growth and I feel that this chaos somehow helped you to penn down your thoughts...really touching and relative. aparna
Speechless.!!
aapke shabd bahut sundar hain.
धन्यवाद पूनम
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