बहुत उम्दा भाव हैं, बधाई.
समीर जी ,हमेशा की तरह इस बार भी आप की सराहना सर्वप्रथम थी . बहुत बहुत धन्यवाद .बम्बई की लोकल ट्रेन मुझे न सिर्फ़ सहनशीलता सिखा रही है बल्कि बैठने की जगह मिलने पर कवि भी बाना देती है :)- आशुतोष
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2 comments:
बहुत उम्दा भाव हैं, बधाई.
समीर जी ,
हमेशा की तरह इस बार भी आप की सराहना सर्वप्रथम थी . बहुत बहुत धन्यवाद .
बम्बई की लोकल ट्रेन मुझे न सिर्फ़ सहनशीलता सिखा रही है बल्कि बैठने की जगह मिलने पर कवि भी बाना देती है :)
- आशुतोष
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