मेरी अनुभूतियाँ ...
Monday, 10 September 2007
व्यापन ...
मॅन पे से
पाषाण सरेखी भाव शून्यता
जब पिघलती है
तब ना उन्माद होता है
ना उदासीनता
तीस बहती है भीतर
आखे मौन रहती है
Saturday, 8 September 2007
संधि विक्षेद ...
समय
एक पूर्णविराम की तरह
जीवन को भागो में विभाजित करता है
और आज
बीते कल और आने वाले कल
के बीच बस एक अल्पविराम है
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