मेरी अनुभूतियाँ ...
Tuesday, 9 October 2007
अवसर ...
आंख मीचे
हाथ में
मुट्ठी भर ख़्वाब लिए
स्याह हकिकात से मिलने गया
हाथ खोला
आंखें खोली
देखा तो आसमान में
दूर चांद टिमटिमा रहा था
और मेरे आस पास
उसी के टुकड़े जैसे सैकड़ो जुगनू .....
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