Saturday, 16 February 2008

स्वाद

चाशनी का घोल
बड़े समय से मुह में था
जबान पे उसकी चिपचिपाहट
अपने होने का एहसास कराती रहती थी
स्वाद मगर आज ही कल में चखा है
तुम्हारे हर पल साथ होने का
एहसास अब भी नया है