मेरी अनुभूतियाँ ...
Thursday, 7 August 2008
देर तक
आईने से मेरा अक्स
मुझे देख कर
पहचाने की कोशिश में लगा रहा
देर तक
कौन हो तुम ?
वो मुझसे
मै उससे
पूछता रहा देर तक
दुनियादारी के रंग
कितने गहरे चढ़ जाते है
दोनों ही
सोचते रहे देर तक
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