मेरी अनुभूतियाँ ...
Thursday, 23 July 2009
शून्य
मन आज भी खाली है
जाने किस ओर बढ़ चला है
दिशाहीन
गंतव्यहीन
भावहीन
मन तब भी खाली था
मगर तब एक आस थी
दिशा की खोज
राहो की खोज
भावो की खोज
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