मेरी अनुभूतियाँ ...
Tuesday, 3 December 2013
तमसो माँ ज्योतिर्गमय
रात आती है
गुज़र जाती है
पर मन का तमस
नहीं बुझता
फैला रहता
हर पहर
जाने कब वो जाएगा
जाने कब सवेरा आएगा
Monday, 24 June 2013
बारिश में मन जलता है
बारिश में मन जलता है
है कुछ ऐसे रश्क
जो बस सुलगते है
सुलझते नहीं
इच्छाओ की बेअन्त झरी
और
अंतर की
तपिश
चौंधती बिजली छेड़ती
यादो के तार
काला आकाश
धूमिल मन
बारिश में मन जलता है
Thursday, 21 March 2013
सवाल - जवाब
जब ज़िन्दगी
अच्छे
जवाब देना बंद कर दे
तो अच्छे सवालो से ही मन बहला लेना चाहिये
Saturday, 2 March 2013
शुक्र है
शुक्र है
उन लोगो का
उन बातो का
जो ज़ख्म कुरेदते रहते है
ज़िन्दगी के एहसास को
और मुझको
जिंदा रखते है
Post Script: बीती रात जैसे ही इन पंक्तियों को उकेरा, चित्रा सिंह की गायी ग़ज़ल - "किसी रंजिश को हवा दो" (
http://www.youtube.com/watch?v=GWzAx-JNYZw
) याद आ गयी। फिर से उस ग़ज़ल को सुना और कुछ नये मायने समझे और महसूस किये ।
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