मेरी अनुभूतियाँ ...
Tuesday, 8 April 2008
आरजू
आज रात की परछाई
बहुत लम्बी है
तुम्हारे सिरहाने रखे
ख्वाब सारे जगा दो
नींद आ रही है मुझे
उन्हें ओधा कर
सुला दो
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