मेरी अनुभूतियाँ ...
Monday, 22 February 2010
दो ढीठ ...
ना जिंदगी हमे बदल सकी
और ना हम जिंदगी को
ढीठ है वो
और ढीठ है हम
उसने ना कभी हमारी सुनी
और ना हमने कभी उसकी
दो राहे
अनजान डगर
एक उसने चुनी
और एक हमने
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