दर्द ही मेरा अपना है
उसे बाटने को मत कहो
उसे हिस्सों में किया
तो मैं भी बट जाऊंगा
सूखे पीले पत्ते
शाख से लटक रहे थे
उनका कोई वजूद न था
और ना ही उन्हें
किसी की तलाश थी
वो उन यादो की तरह थे
जिन्हें ना ही कभी
ठुकरा जा सकता है
और ना ही कभी
अपनाया जा सकता है
अलग होना ही
उनकी नियति है
पुराने पड़ चुके
अधूरे ख्वाबो की तरह
उन्हें भी टूटना ही था
अब दोनों को
इंतज़ार उस पतझड़ का है
बहा कर
ले जाए जो
सब अपने आवेग में