सही कहा आप ने . प्रायः हम अपने जीवन को इतना जटिल बना देते है की सरलता प्राप्त करना लगभग असंभव सा लगने लगता है . पर यही तो चुनौती है. और ऐसी ही चुनौतिया तो हमे सांस लेते रहने से आगे बढ़ कर जिंदगी जीना सीखाती है :)
क्या खोया क्या पाया जग में... मिलते और बिछड़ते मग में... मुझे किसी से नहीं शिकायत.. यद्यपि छाला गया पग-पग में.. एक दृष्टि बीती पर डाले... यादो की पोटली टटोले .. अपने ही मन से कुछ बोले...अपने ही मन से कुछ बोले..
5 comments:
Bahot kam log hindi ko itni sahajta se use kar paate hain..often they turn to hindustani ( i am prone to it). very well written
@ पाली
सही कहा आप ने . प्रायः हम अपने जीवन को इतना जटिल बना देते है की सरलता प्राप्त करना लगभग असंभव सा लगने लगता है . पर यही तो चुनौती है. और ऐसी ही चुनौतिया तो हमे सांस लेते रहने से आगे बढ़ कर जिंदगी जीना सीखाती है :)
- आशुतोष
क्या खोया क्या पाया जग में... मिलते और बिछड़ते मग में... मुझे किसी से नहीं शिकायत.. यद्यपि छाला गया पग-पग में.. एक दृष्टि बीती पर डाले... यादो की पोटली टटोले .. अपने ही मन से कुछ बोले...अपने ही मन से कुछ बोले..
स्व.रमानाथ अवस्थीजी की कविता ये पंक्तिया अनायास ही याद आ गयी -
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मेरे पास कुछ नहीं है
जो तुमसे मैं छिपाता।
मेरे पंख कट गये हैं
वरना मैं गगन को गाता।
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जीवन बहुत ही कम मौके देता है हिसाब रखने का . और ये सही भी है, अगर हम हर चीज़ का लेखा जोखा रखने लगे, तो सहम ही जायेंगे :)
- आशुतोष
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