बहुत ही कम शब्द
बहुत ही कम मायने है
जो कह ना पाया
और जो कह ना सका
उसी पुलिंदे में
कैद सब अफ़साने है
आज मेरे पास
बहुत ही कम शब्द
बहुत ही कम मायने है
खोल देता वो बंधन
इसी आस में
रेह गए हम
जिंदगी की तलाश में
आज मेरे पास
बहुत ही कम शब्द
बहुत ही कम मायने है
कभी दूर से देखे थे
रौशनी के दीये
अब तो आँखों में
बस अँधेरे चुंधियाते है
आज मेरे पास
बहुत ही कम शब्द
बहुत ही कम मायने है
2 comments:
ग़ज़ब की कविता ... कोई बार सोचता हूँ इतना अच्छा कैसे लिखा जाता है
धन्यवाद संजय , मेरा लिखने का बस एक ही तरीका है , जिन अनुभूतियो को शब्द मिल जाते है उन्हें संग्रहित कर सबसे बाँट लेता हू :)
- आशुतोष
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