कविता तथा लेखन मन के उन भावो को व्यक्त करने का माध्यम है जिन्हे हम प्रायः परोक्ष रुप से व्यक्त नही कर पाते है । हमारे अन्दर चल रहे द्वन्द को कभी स्वयं समझना एक चुनौती सरीखे है ।
शाम का समय मेरे मॅन को हमेशा ही विचलित कर जाता है । कई बार मैंने इसका कारण समझने का प्रयास किया है और पूरी तरह असफल रह हूँ । मेरे अन्दर का अकेलापन और मौन स्पष्ट रुप से प्रकट होता है । और इस सब के बीच मै निःशब्द और निर्भाव......
7 comments:
Bhai ek bahut accha prayas hai ye jo hume apni matrabhasha ke kareeb laane mein madadgaar saabit hoga.....lage raho ashu bhai
paroksh nahi yaar
mere khyaal se pratyaksh hona chahiye
BTW, nice effort yaar
hindi mei jaldi kuchh achchha dekhne ko nahi milta hai
keep it up
मयंक भाई ,
ये प्रयास कही ना कही खुद से जुड़ने के ओर ज्यादा उन्मुख है । और आप से निवेदन है कि समान चेष्ठा करे, आपका भी कौशल कुछ कम नही है ।
-आशुतोष
सत्यांवेशी बंधु ,
कई बार हम अपने को व्यक्त करने के लिए शब्दो कि आड़ लेते है । वाग्जाल में बहुत से अनाम भावो की वेदना है । इसी संघर्ष को समझने में प्रयासरत हू ।
ऐसे ही प्रोत्साहित करते रहिए ।
-आशुतोष
good words....impressed!!
ज्योति ,
धन्यवाद :) । आशा है भाविषा में भी हम आप की सराहना के पात्र बने रहेगे ।
- आशुतोष
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