Monday, 31 August 2009

मोड़...

जिंदगी फिर
उसी मोड़
पे मूड़ गयी

ले आई मुझे
फिर उसी
रहगुज़र

जहा से
चला था मै कभी
भूलने को सफ़र

Monday, 24 August 2009

मन का शोर...

जो लफ्जों में कैद था कभी
आज उसे मै आजाद करता हू

चुप रहता हू आज मै
और मन का शोर सुनता हू

अपने को बांध रखा था जिन सीमओं में
आज उस कैद से अपने को आजाद करता हू

चुप रहता हू आज मै
और मन का शोर सुनता हू

समय ने जकडा था जिस बंदिश में आज उससे बाहर आता हू

चुप रहता हू आज मै
और मन का शोर सुनता हू

उम्मीद से मायूसी तक लम्बा रास्ता था जो
आज उसे मै आराम देना कहता हू

चुप रहता हू आज मै
और मन का शोर सुनता हू

Friday, 14 August 2009

क्या होता है

क्या होता है
जब जो चाहा
वो नहीं होता

लोगो से सुना था
दुनिया रुक जाती है
पलट जाता है सब कुछ

झूठ है सब

साँसे अब भी
ज्यो की त्यों है
नब्ज़ भी चल रही है

कुछ भी तो नहीं बदला

बदला है तो सिर्फ नजरिया
और मुस्कुराहट में
अब शामिल है दर्द की एक टीस

Monday, 10 August 2009

गुजारिश

कल शाम मैंने
सूरज को लहरों में पिघलते देखा
धीरे धीरे
अपना सारा दर्द धुल रहा था

कल शाम मैंने
आसमान को समंदर में सिमटे देखा
नीले से स्याह होता
सब कुछ अपने अन्दर समाये जा रहा था

कल शाम मैंने
तारो को टिमटिमाते
चाँद को सांस लेता देखा
अपनी अलग ही दुनिया में मदमस्त

कल शाम मैंने
इन सबको मुझसे कहता देखा
कोई तो रंग चुनो
हस लो, रो लो, या जी लो

Monday, 3 August 2009

समझौता

सपने सारे
थक कर चूर है
निढाल

रात के घने अँधेरे में
कोई रास्ता
उन्हें नज़र आये तो भी कैसे

डरे हुए है सारे
मायूस
और हताश भी है

जो लडाई वो लड़ रहे थे
उसमे अब कोई नहीं है उनके साथ
मै भी नहीं

अब दिलासा
उन्हें दू भी तो कैसे?
और क्या?

ज़िन्दगी के आगे
मैंने घुटने टेक दिए है
तुम भी अब हार मान लो

सारी रात
नीद ना तुम्हे आनी है
और न मुझे

चलो साथ बैठे
और क्यों ना एक दुसरे को
अपनी आप-बीती सुनाये