शुक्र है
उन लोगो का
उन बातो का
जो ज़ख्म कुरेदते रहते है
ज़िन्दगी के एहसास को
और मुझको
जिंदा रखते है
Post Script: बीती रात जैसे ही इन पंक्तियों को उकेरा, चित्रा सिंह की गायी ग़ज़ल - "किसी रंजिश को हवा दो" (http://www.youtube.com/watch?v=GWzAx-JNYZw) याद आ गयी। फिर से उस ग़ज़ल को सुना और कुछ नये मायने समझे और महसूस किये ।